महाभारत युद्ध को रोकने के लिए पांडवों ने कौरवों से मांगे थे ये 5 गांव
पांडवों और कौरवों के बीच जमीन को लेकर विवाद था। श्रीकृष्ण ने पांडवों की ओर से कौरवों से 5 गांव मांगे, लेकिन दुर्योधन ने इन 5 गांवों को देने से इनकार कर दिया। इसके बाद महाभारत युद्ध हुआ।
महाभारत युद्ध को रोकने के लिए श्रीकृष्ण ने कौरवों से पांडवों को 5 गांव देने का प्रस्ताव रखा था। इन गांवों में पानीपत, सोनीपत, इंद्रप्रस्थ, तिलपत और बागपत शामिल थे।
ये तो आप सभी जानते हैं महाभारत की लड़ाई कई वजहों से शुरू हुई थी, जिसमें एक बड़ा कारण जमीन या राज्य के बंटवारे को लेकर भी था। ऐसा माना जाता है कि महाभारत युद्ध में करीबन 1 लाख से भी ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवाई थी। कई दिनों तक चलने वाली हजारों कश्मकश के बाद जब कोई हल नहीं निकला तो पांडवों की ओर से शांतिदूत बनकर श्री कृष्ण हस्तिनापुर गए। हस्तिनापुर में श्री कृष्ण ने पांडवों को कौरवों से पांडवों को केवल पांच गांव देने का प्रस्ताव दिया। धृतराष्ट्र भी श्री कृष्ण की बात से सहमत हो गए और पांडवों को 5 गांव देकर युद्ध टालने की बात दुर्योधन को समझाने लगे। उन्होंने बेटे को समझाते हुए कहा कि ये हठ छोड़कर पांडवों से संधि करलो ताकि ये विनाश को टाला जा सके। दुर्योधन गुस्से में आकर बोले कि मैं एक तिनके की भी भूमि उन पांडवों को नहीं दूंगा और अब फैसला केवल युद्ध से किया जाएगा। चलिए फिर आपको बताते हैं आखिर वो कौन से गांव हैं जिन्हें पांडवों से कौरवों को देने से मना कर दिया।
दुश्शासन ने भी दुर्योधन का समर्थन किया। उसने कहा कि पांडवों को एक इंच भी भूमि नहीं मिलेगी। दुर्योधन के इस हठ के कारण महाभारत युद्ध हुआ।
इंद्रप्रस्थ
इंद्रप्रस्थ को कहीं-कहीं श्रीपत भी कहते हैं, इंद्रप्रस्थ को पांडवों ने अपनी राजधानी के रूप में आबाद किया था। पांडवों ने खांडवप्रस्थ जैसी बेकार जगह पर इंद्रप्रस्थ शहर बसाया था। मयासुर ने यहां भगवान श्री कृष्ण के कहने पर महल और किले का निर्माण करवाया था। अभी दिल्ली की एक जगह का नाम इंद्रप्रस्थ है, जहां एक पुराना किला है। माना जाता है कि पांडवों का इंद्रप्रस्थ इसी जगह पर था।
बागपत
इसे महाभारत काल में व्याघ्रप्रस्थ कहते थे। व्याघ्रप्रस्थ का मतलब बाघों के रहने की जगह। यहां सैकड़ों साल पहले कई बाघ पाए जाते थे। यही वो जगह है जिसे मुगलकाल से बागपत को सबसे ज्यादा जाना गया। ये उत्तर प्रदेश का एक जिला है। बागपत की वो जगह, जहां कौरवों ने लाक्षागृह बनाकर उसमें पांडवों को जलाने की साजिश रची थी। बागपत जिले की आबादी 50 हजार से भी अधिक है।
सोनीपत
सोनीपत को पहले स्वर्णप्रस्थ कहते थे, बाद में इसे 'सोनप्रस्थ' होकर सोनीपत कर दिया गया। स्वर्णपथ का अर्थ है सोने का शहर। अभी ये हरियाणा का एक जिला है, इसके दूसरे छोटे शहरों में गोहाना, गन्नौर, मुंडलाना, खरखोदा और राई आते हैं।
पानीपत
पानीपत को पांडुप्रस्थ भी कहते थे। भारतीय इतिहास में ये जगह बेहद ही जरूरी मानी जाती थी, क्योंकि बता दें यहां तीन बड़ी लड़ाइयां लड़ी गई थी। इसी पानीपत के पास कुरुक्षेत्र है, जहां महाभारत की लड़ाई शुरू हुई है। पानीपत राजधानी नयी दिल्ली से 90 किमी उत्तर में स्थित है। इसे 'सिटी ऑफ वीबर' मतलब 'बुनकरों का शहर' भी कहते हैं।
तिलपत
तिलपत को पहले तिलप्रस्थ भी कहते थे, ये हरियाणा के फरीदाबाद जिले का एक कस्बा है, जो यमुना नदी के किनारे मौजूद है। इस कस्बे की आबादी करीबन 40 हजार से ज्यादा है। सभी में 5 हजार से ज्यादा पक्के मकान बने हुए हैं।
महाभारत युद्ध में लाखों लोगों की मौत हुई थी। इस युद्ध से पता चलता है कि अहंकार और हठ के कारण कितनी बड़ी तबाही हो सकती है।
अतिरिक्त जानकारी:
- इन 5 गांवों में से आज पानीपत और सोनीपत बड़े शहर हैं। बागपत और तिलपत अभी भी छोटे शहर हैं। इंद्रप्रस्थ का नाम दिल्ली के एक इलाके में भी है।
- महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने इन 5 गांवों में से इंद्रप्रस्थ को अपनी राजधानी बनाया था।
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